रक्त के कार्य (Functions of Blood),रक्त का थक्का बनना (Blood Clotting), Blood Group(रक्त समूह) # रक्त आधान (Blood Transfusion
# रक्त के कार्य (Functions of Blood)
* ऊतकों अथवा अंगों को आक्सीजन पहुंचाना।
* पोषक तत्वों (ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, वसा, प्रोटीन, लिपिड आदि) को अंगों तक पहुंचाना।
* उत्सर्जी पदार्थो(यूरिया, कार्बन डाइऑक्साइड ) को शरीर से बाहर निकालना।
* शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली का कार्य करना या रोगों से बचाना।
* शरीर के pH स्तर को बनाये रखना।
* शरीर के तापमान को नियंत्रण करना। tamansi
* शरीर के एक अंग से दूसरे अंग तक जल का वितरण करना।
* लैंगिक वरण में सहायता करना।
* पोषक तत्वों (ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, वसा, प्रोटीन, लिपिड आदि) को अंगों तक पहुंचाना।
* उत्सर्जी पदार्थो(यूरिया, कार्बन डाइऑक्साइड ) को शरीर से बाहर निकालना।
* शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली का कार्य करना या रोगों से बचाना।
* शरीर के pH स्तर को बनाये रखना।
* शरीर के तापमान को नियंत्रण करना। tamansi
* शरीर के एक अंग से दूसरे अंग तक जल का वितरण करना।
* लैंगिक वरण में सहायता करना।
# रक्त का थक्का बनना (Blood Clotting)
(i) भ्राम्योप्लास्टिन + प्रोधोम्मिन = थ्रोम्बिन
(ii) धोम्बिन + फाइब्रोनोजन = फाइब्रिन
(iii) फाइब्रिन + बिम्बाणु = रक्त का थक्का
(ii) धोम्बिन + फाइब्रोनोजन = फाइब्रिन
(iii) फाइब्रिन + बिम्बाणु = रक्त का थक्का
* रक्त प्रोधोम्बिन तथा फाइब्रोनोजन का निर्माण विटामिन k की सहायता से यकृत में होता है।
* हेपरिन (Heparin-Protein रक्त का थक्का बनने से रोकता है जिसका निर्माण यकृत में होता है
* हेपरिन (Heparin-Protein रक्त का थक्का बनने से रोकता है जिसका निर्माण यकृत में होता है
# Blood Group(रक्त समूह)
* मनुष्य में रक्त वर्ग Blood Group) :• मानव रक्त वर्ग या समूह की खोज कार्ल लैंडस्टीनर ने 1900 ई० में की थी, इस खोज के लिये इन्हें 1930 ई० में नोबेल पुरुस्कार दिया गया था।
* International Society of Blood Transfusion (ISBT) द्वारा बताया गया है कि मानव के रक्त में 29 रक्त-समूह संरचना पायी जाती हैं, जिनमें 600 एंटीजन होते हैं।
* मनुष्य के रक्त (RBC) में पाये जाने वाला ग्लाइकोप्रोटीन को प्रतिजन (Antigen) कहते हैं।
* एंटीजन मनुष्य की जेनेटिक संरचना का निर्माण करते हैं तथा एंटीबॉडी का निर्माण करते हैं।
* मनुष्य में 2 प्रकार का एंटीजन पाया जाता है - A और B
* मनुष्य के रक्त में पाये जाने वाला इम्यूनोग्लोब्यूलिन प्रोटीन प्रतिपिंड (Antibody) कहलाता है।
* एंटीबॉडी, श्वेत रक्त कणिकाओं से निर्मित होते हैं तथा प्लाज्मा में रहते हैं, इनका कार्य शरीर (Body) की रक्षा करते है।
* मनुष्य में 2 प्रकार का एंटीबॉडी पाया जाता है - a और b
* जिन व्यक्तियों के रक्त में Rh-factor होता है उनका रक्त Rh-पोजिटिव, और जिनके रक्त में Rhfactor नहीं पाया जाता है उनका रक्त Rh-निगेटिव होता है।
* रक्त समूह O को सर्वदाता कहते हैं क्योंकि इसमें कोई एंटीजन नहीं होता है, एवं रक्त समूह
* AB को सर्वग्रहता कहते हैं क्योंकि इसमें कोई एंटीबॉडी नहीं होती है।
* International Society of Blood Transfusion (ISBT) द्वारा बताया गया है कि मानव के रक्त में 29 रक्त-समूह संरचना पायी जाती हैं, जिनमें 600 एंटीजन होते हैं।
* मनुष्य के रक्त (RBC) में पाये जाने वाला ग्लाइकोप्रोटीन को प्रतिजन (Antigen) कहते हैं।
* एंटीजन मनुष्य की जेनेटिक संरचना का निर्माण करते हैं तथा एंटीबॉडी का निर्माण करते हैं।
* मनुष्य में 2 प्रकार का एंटीजन पाया जाता है - A और B
* मनुष्य के रक्त में पाये जाने वाला इम्यूनोग्लोब्यूलिन प्रोटीन प्रतिपिंड (Antibody) कहलाता है।
* एंटीबॉडी, श्वेत रक्त कणिकाओं से निर्मित होते हैं तथा प्लाज्मा में रहते हैं, इनका कार्य शरीर (Body) की रक्षा करते है।
* मनुष्य में 2 प्रकार का एंटीबॉडी पाया जाता है - a और b
* जिन व्यक्तियों के रक्त में Rh-factor होता है उनका रक्त Rh-पोजिटिव, और जिनके रक्त में Rhfactor नहीं पाया जाता है उनका रक्त Rh-निगेटिव होता है।
* रक्त समूह O को सर्वदाता कहते हैं क्योंकि इसमें कोई एंटीजन नहीं होता है, एवं रक्त समूह
* AB को सर्वग्रहता कहते हैं क्योंकि इसमें कोई एंटीबॉडी नहीं होती है।
* इनकी उपस्थिति के आधार पर मनुष्य में 4 प्रकार के रक्त समूह होते है।
# रक्त आधान (Blood Transfusion)
* मनुष्य में समान एंटीजन A एंटीबॉडी a और एंटीजन B एंटीबॉडी b साथ नहीं रह सकते।
* समान एंटीजन और एंटीबॉडी साथ होने पर चिपचिपे हो जाते हैं तथा रक्त नष्ट होने लगता है, इस प्रक्रिया को अभिश्लेषण (Agglutination) कहते हैं, इसी कारण रक्ताधान के समय एंटीजन और एंटीबॉडी का परीक्षण किया जाता है।
* रक्त आधान के समय Rh-factor की जाँच की जाती है, Rh+ को Rh+ दिया जात है तथा Rh-को Rh- दिया जाता है।
एरिथ्रोब्लास्टोसिस फेटिलिस प्रक्रिया क्या है - अगर पिता का रक्त Rh+ हो तथा माता का रक्त Rh- हो तो पैदा होने वाली संतान की गर्भावस्था या जन्म लेने के बाद तुरन्त मृत्यु हो जाती है,(पहली संतान के बाद ऐसा होता है)
* विश्व रक्तदान दिवस किस तिथि को मनाया जाता है - 14 जून
* समान एंटीजन और एंटीबॉडी साथ होने पर चिपचिपे हो जाते हैं तथा रक्त नष्ट होने लगता है, इस प्रक्रिया को अभिश्लेषण (Agglutination) कहते हैं, इसी कारण रक्ताधान के समय एंटीजन और एंटीबॉडी का परीक्षण किया जाता है।
* रक्त आधान के समय Rh-factor की जाँच की जाती है, Rh+ को Rh+ दिया जात है तथा Rh-को Rh- दिया जाता है।
एरिथ्रोब्लास्टोसिस फेटिलिस प्रक्रिया क्या है - अगर पिता का रक्त Rh+ हो तथा माता का रक्त Rh- हो तो पैदा होने वाली संतान की गर्भावस्था या जन्म लेने के बाद तुरन्त मृत्यु हो जाती है,(पहली संतान के बाद ऐसा होता है)
* विश्व रक्तदान दिवस किस तिथि को मनाया जाता है - 14 जून
* मानव में एक और एंटीजन पाया जाता है जिसे Rh-factor कहते हैं, इस एंटीजन का पता सर्वप्रथम रीसस बंदर में लगाया गया था।
Rh-factor की खोज 1940 ई० में लैंडस्टीनर और वीनर ने की थी।
* Rh की खोज (Landsteiner and Weiner) ने रुधिर या रक्त में एक अन्य प्रकार के एंटीजन का पता लगाया जिस Rh एंटीजन कहते हैं क्योंकि इस तत्व का पता इन्होंने Rhesus (Rh) Monkey में लगाया।
* जिन व्यक्तियों के रक्त में यह तत्व पाया जाता है उन्हें Rh+' कहा जाता है एवं जिन व्यक्तियों के रक्त में यह तत्व नहीं पाया है। उन्हें Rh- कहते है।
Rh-factor की खोज 1940 ई० में लैंडस्टीनर और वीनर ने की थी।
* Rh की खोज (Landsteiner and Weiner) ने रुधिर या रक्त में एक अन्य प्रकार के एंटीजन का पता लगाया जिस Rh एंटीजन कहते हैं क्योंकि इस तत्व का पता इन्होंने Rhesus (Rh) Monkey में लगाया।
* जिन व्यक्तियों के रक्त में यह तत्व पाया जाता है उन्हें Rh+' कहा जाता है एवं जिन व्यक्तियों के रक्त में यह तत्व नहीं पाया है। उन्हें Rh- कहते है।
Eryhroblastosis Foetalis:→यदि पिता का रक्त समूह RhVE एवं माता का रक्त समूह Rh"हो तो जन्म लेने वाले शिशु की जन्म से पहले गर्भावस्था में अथवा जन्म के तुरंत बाद मृत्यु हो जाती है ऐसा दूसरी संतान के जन्म होने पर होता है क्योंकि इस स्थिति में
(पिताRh'"तथा माता Rhe ) पहली संतान के समय माता के शरीर में Rh एंटीबॉडी बन जाती हैं।।
(पिताRh'"तथा माता Rhe ) पहली संतान के समय माता के शरीर में Rh एंटीबॉडी बन जाती हैं।।
# रक्त के रोग (blood disease)
* Haemophilia (अनुवांशिक रोग):
--रक्त को थक्का बनने में सामान्य समय 15 सेकंड (अधिकतम 1-2 मिनिट) का समय लगता है लेकिन इस बीमारी में रक्त का थक्का बनने में 15 मिनट या इससे ज्यादा समय लगता है जिसके कारण अत्यधिक खून बहने से व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
- ये बीमारी एंटी हीमोफिलिक तत्व की कमी के कारण होती है
- ये बीमारी एंटी हीमोफिलिक तत्व की कमी के कारण होती है
* Jaundice (पीलिया):- रक्त में पित्तरंजक (Billirubin) नामक एक रंग होता है जिसका शरीर में स्तर बढ़ने से त्वचा का रंग पीला हो जाता है। इस दशा को पीलिया (Jaundice) या कामला कहते हैं।
• इसका शरीर में सामान्य स्तर 0.3-1.9 mg/dI (100 ml) होता है
• इसका शरीर में सामान्य स्तर 0.3-1.9 mg/dI (100 ml) होता है
* पीलिया होने के कारण• मलेरिया या किसी अन्य बीमारी के दौरान लाल रक्त कणिकाओं (RBC) के नष्ट होने की दर
बढ़ जाती है जिसके कारण शरीर में Billirubin (पित्तरंजक) की मात्रा बढ़ जाती है। यकृत के कार्य करने की क्षमता यदि कम हो जाए तो भी शरीर में पित्तरंजक की मात्रा बढ़ जाती है।
बढ़ जाती है जिसके कारण शरीर में Billirubin (पित्तरंजक) की मात्रा बढ़ जाती है। यकृत के कार्य करने की क्षमता यदि कम हो जाए तो भी शरीर में पित्तरंजक की मात्रा बढ़ जाती है।